शहरों में बढ़ता जल-भराव

Afeias
01 Jul 2025
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भारतीय शहरों के बदतर रखरखाव पर पहले भी आपको कई लेख दिए जा चुके हैं। यह लेख भी इसी से जुड़ा है। सामने खड़े मानसून के मद्देनजर शहरों में जलभराव और बाढ़ जैसी चिंताजनक स्थितियां उत्पन्न होने लगी हैं।

इसके कारण व समाधान पर कुछ बिंदु –

  • हाल ही में मुंबई के संभ्रांत वर्ली क्षेत्र में 37,000 हजार करोड़ रुपयों से 15 दिन पहले बने मेट्रो स्टेशन में पानी भर गया। भूमिगत मेट्रो के निर्माण में पहले की जल निकासी प्रणाली को फिर से दुरूस्त करना शामिल है। इसका अर्थ है कि धन केवल व्यय किया गया। निगरानी नहीं की गई।
  • बारिश के पानी के नालों का उपयोग कूड़ेदान के रूप में किया जाता है। इनकी सफाई पर करोड़ों खर्च करके भी स्थिति बेहतर नहीं हो पाती है।
  • नगर निगम चुनावों में वर्षों की देरी होती चली जाती है। इस बीच भारी व्यय जारी रहता है। गड्ढे खोदे जाते हैं। उन्हें फिर से पक्का किया जाता है।
  • हमारे महानगरों की योजना कभी भी लाखों या करोड़ों के रहने लायक बनाई ही नहीं गई हैं। जो बनाई गई, वह भी अतिक्रमण में है।

समाधान –

  • आज के तकनीकी उपकरणों और आर्थिक ताकत के साथ भारत के पास इससे बचने के कई उपाय हो सकते हैं।
  • जल निकासी व्यवस्था को साफ सुथरा करके बहुत राहत मिल सकती है। 
  • हाल के कुछ वर्षों में कम समय में होने वाली अतिवृष्टि को देखते हुए केंद्र ने ‘जल शक्ति अभियान’ की शुरूआत की है। इसके माध्यम से रेन वाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित करना, गहन वनीकरण और लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है।
  • अमृत सरोवर मिशन से शहरी क्षेत्रों में जल निकायों को फिर से जीवित कर, वर्षा का अतिरिक्त जल सोखने के लिए तैयार किया जा रहा है।
  • इसी प्रकार से अटल भूजल योजना और अमृत 2.0 को चलाया जा रहा है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 28 मई 2025