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सार्वजनिक संस्थानों के कड़वे अनुभव से जगता अविश्वास
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एक और घटना में झांसी के एक सरकारी अस्पताल की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई। उपमुख्यमंत्री ने सुरक्षा उपायों में गंभीर खामियों की सभी रिपोर्टों को झूठा करार दिया।
तीसरे उदाहरण में नरेगा आधारित भुगतान में सुधार के बजाय लाखों लोगों को हटा दिया गया।
सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका –
- सार्वजनिक संस्थाओं से लोगों की अपेक्षा रहती है कि वे कुशलता के साथ सेवाएं प्रदान करें।
- इस प्रक्रिया में सार्वजनिक धन का दुरूपयोग न हो।
- इससे जनता में उनके प्रति विश्वास जगता है। यह विश्वास समृद्धि और लोकतंत्र दोनों के लिए अमूल्य है।
सरकार को इन संस्थानों में होने वाली अव्यवस्थाओं को गंभीरता से लेना चाहिए, और इन संस्थाओं के प्रति विश्वास को पुनः स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 नवंबर, 2024