प्रवासी भारतीयों की बढ़ती संख्या और उनका खराब सुरक्षा नेटवर्क
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हाल ही में कुवैत की एक रिहायशी इमारत की आग में जले अनेक प्रवासी भारतयों की दुर्घटना, एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवासी नीति बनाने की मांग करती है।
कुछ बिंदु –
– पूरे विश्व में भारतीय प्रवासी श्रमिकों की संख्या लगभग 17-18 लाख है।
– पिछले दो दशकों में खाड़ी देशों को जाने वाले भारतीय श्रमिकों की संख्या में लगभग 80% तक की वृद्धि हुई है। लेकिन 2014 से 2019 के बीच यह संख्या गिरकर लगभग 62% पर आ गई थी।
– अमेरिका में भारतीय तीसरी सबसे बड़ी अनाधिकृत आप्रवासी आबादी बन गए हैं।
– ये प्रवासी भारतीय अधिकतर एक नेटवर्क के माध्यम से विदेश जाते हैं। इनके नियोक्ता और नियंत्रक अधिकतर भारतीय ही होते हैं। कुवैत मामले में भी ऐसा ही था।
– यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय नियोक्ता ने भी इन प्रवासी भारतीयों को उचित सुविधा मुहैया कराने के बारे में नहीं सोचा।
– अवैध प्रवास का यह मुद्दा ऐसा है, जिसमें विश्वसनीय कहानियाँ बनाकर ले जाने वाले एजेंट बहुत ही खतरनाक भूमिका निभाते हैं। हाल ही में पंजाब में भी ऐसे रैकेट का भांडाफोड़ हुआ है, जो भारतीयों को जाली पासपोर्ट पर मलेशिया व अन्य एशियाई देशों में भेजा करते थे।
– विदेश जाने वाले छात्र भी कई बार भारतीय छात्र संघों द्वारा प्रताड़ित किए जाते हैं।
सरकार को ऐसे प्रवासी भारतीयों के लिए सुरक्षित परिस्थितयाँ बनाने के प्रयास करने चाहिए। विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर का प्रवास डेटाबेस बनाया जाना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 जून, 2024