प्रदूषण शमन कार्यक्रम को ट्रैक पर लाना जरूरी
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- भारत सरकार ने पाँच वर्ष पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम या नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एन सी एपी) शुरू किया था।
- इसका उद्देश्य 2017 से लेकर 2026 तक 131 प्रदूषित शहरों में 40% प्रदूषण कम करना है।
- सरकार ने इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
- कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए इन शहरों के प्रदूषण स्रोतों का पहले निर्धारण करना जरूरी है। केवल एक तिहाई शहरों ने ही अभी तक यह किया है।
- इसी कारण से यह पूरा कार्यक्रम मैनुअल मॉनिटरिंग के बिना पिछड़़ गया है। इससे यह सतत् वायु गुणवत्ता निरीक्षण के अपने लक्ष्य में भी पिछड़ गया है। अगर यही हाल रहा, तो वायु की गुणवत्ता में सुधार की गारंटी के लिए महत्वपूर्ण डेटा की उपलब्धता भी पर्याप्त नहीं हो सकती है।
- आगे के लिए एनसीएपी को दिल्ली की तरह एयरशेड दृष्टिकोण (एक ऐसा भौगोलिक क्षेत्र जहाँ स्थानीय स्थितियों के अनुसार प्रदूषक एक निर्धारित क्षेत्र में ही फैले रहते हैं) को अपनाया जाना चाहिए।
- एयरशेड को कम करने के लिए बहु-क्षेत्रीय कार्यक्रमों में आपसी भागीदारी की बहुत जरूरत होगी।
- अखिल भारतीय स्तर पर 37% प्रदूषकों के लिए यातायात उत्सर्जन जिम्मेदार है। इसे कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहनए बेहतर ईंधन मानक, इलेक्ट्रिक वाहन का चलन, बेहतर सड़कें तथा फुटपाथ आदि पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
खराब वायु गुणवत्ता एक गंभीर समस्या है, जिसका प्रभाव पूरे समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इसे सुधारने के लिए सरकार को सक्रियता से काम करने की जरूरत है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 16 जनवरी, 2024
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