पेमेंटस बैंक
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पेमेंट बैंक, असल में डिजिटल कंपनियाँ हैं। इन्हें प्रवासी श्रमिकों, कम आय वाले परिवारों, छोटे बिजनेस, असंगठित संस्थाओं और अन्य यूजर्स को छोटे बचत खाते और पेमेंट/रेमिटेंस सेवाएँ देकर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। ये दूसरे बैंकों की तरह ही काम करते हैं, लेकिन छोटे पैमाने पर और ‘क्रेडिट जोखिम’ के बिना।
भारत में पेमेंट बैंक की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
1) बैंक चलाने के लिए पूंजी और फंड की कम उपलब्धता।
2) ग्राहकों तक सीमित पहुँच और सीमित नेटवर्क।
3) केवल चुनिंदा बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध करा पाना।
4) लोन और क्रेडिट कार्ड जारी करने का अधिकार न होने की वजह से कमाई के सीमित साधन।
5) आय की तुलना में ऑपरेशन पर ज्यादा खर्च होना।
6) RBI के कई कड़े नियम के पालन में दिक्कत।
2016 में लाइसेंस मिलने के बाद 11 में से 5 पेमेंट बैंक बंद हो चुके हैं। देश में अभी केवल 6 पेमेन्टस बैंक एक्टिव हैं।
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