मुक्त व्यापार समझौता : भारत के लिए रुकने का समय

Afeias
31 May 2025
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हाल ही में भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच घोषित किया गया व्यापार समझौता लंबे समय से चली आ रही कई सीमाओं का अतिक्रमण करता है। अभी मुक्त व्यापार समझौते की सभी जानकारियां सामने नहीं आई हैं, लेकिन उपलब्ध जानकारियां चिंताजनक संदेश देती हैं।

एफटीए से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु –

  • यह भारत का 15वां मुक्त व्यापार समझौता है। इसका उद्देश्य टैरिफ, वस्तुओं, सेवाओं, डिजिटल कारोबार, बौद्धिक संपदा, टिकाऊपन और सरकारी खरीद समेत 26 क्षेत्रों में व्यापार गतिरोधों कम करना है।
  • हमारा द्विपक्षीय व्यापार 53.3 अरब डालर का है, जिसमें भारत को व्यापार अधिशेष मिलता है। यूनाइटेड किंगडम अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा आईटी और कारोबारी सेवा बाजार है।
  • वस्तु निर्यात का करीब 44% हिस्सा अब यूके में शुल्क मुक्त होगा। इसमें कपडे़, जूते-चप्पल, कालीन, कार, समुद्री खाद्य पदार्थ और फल शामिल हैं। पेट्रोलियम, दवा, हीरे और विमान आदि यूनाइटेड किंगडम में पहले ही शुल्क मुक्त हैं।
  • 90% वस्तुएँ; जिसमें चाकलेट, सौंदर्य प्रसाधन, वाहन, विमान, कलपुर्जे, इलेक्ट्रानिक्स का शुल्क कम होने से हमें लाभ मिलेगा।
  • यूनाइटेड किंगडम ने योग प्रशिक्षकों और शास्त्रीय संगीतकारों को हर वर्ष 1800 वीजा देने की पेशकश की है। लेकिन आईटी पेशेवरों तथा वहाँ पढ़ने के बाद काम करने वालों के लिए वीजा के बारे में कोई बात नहीं की है।
  • दोहरे योगदान का समझौता एक उपलब्धि अवश्य है, जो पेशेवरों को अल्पावधि में काम करने की अनुमति बिना सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में पंजीयन के देता है।
  • यूनाइटेड किंगडम की कंपनियां अब दूरसंचार, विनिर्माण और पर्यावरण सेवाओं में बिना स्थानीय कार्यालय खोले काम कर सकती हैं। वहाँ के बैंक और बीमा कंपनियों को भारतीय कंपनियों के समान ही माना जाएगा।
  • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों पर शुल्क घटाकर 100 से 10% कर दिया गया है। इससे हमें अन्य देशों से इसी तरह के अनुरोध प्राप्त हो सकते है। इससे हमारा विदेशी निवेश भी कम होगा; क्योंकि कंपनियां अपने ही देश से हमें कम शुल्क में वाहन आयात कर सकेंगी। भारत में यह 4 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। आस्ट्रेलिया ने 1990 में वाहन टैरिफ 45% से 6% कर दिया था। दो दशक में ही उसका कार उद्योग समाप्त हो गया था।
  • सरकारी खरीद; जिसमें 15% सकल घरेलू उत्पाद की हिस्सेदारी है, और जिसका आकार 600 अरब डालर का है, जिससे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहन मिलता है। यह संरक्षण अब खत्म हो रहा है। अब 40000 उच्च मूल्य वाले भारतीय सरकारी अनुबंध उसकी कंपनियों के लिए खुले रहेंगे। यदि वे सिर्फ 20% आपूर्ति ही यूके से करें, तो उन्हें वर्ग 2 के भारतीय आपूर्तिकर्ता के समान नही माना जाएगा। फिर चाहे उनके कच्चे माल की 80% आपूर्ति चीन या यूरोप से ही क्यों न हो?
  • विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों को कमजोर करने से हमारी सस्ती दवाओं तक पहुँच मुश्किल होगी तथा जेनेरिक दवा के आपूर्तिकर्ता की हमारी छवि पर भी असर होगा इससे विदेशी कंपनियों को लाभ होगा।

संयुक्त अरब अमीरात से स्विट्जरलैंड तक जो भी एफटीए हुए हैं, उनमें हम उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की ओर ही बढ़े हैं। हमें ठहरकर एफटीए पर विचार करना होगा, वरना हमारी आर्थिक स्वायत्तता कमजोर पड़ेगी।

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