मिशन मोड की शहरी योजनाएँ फिर भी ऐसी दुर्दशा – कारण व उपाय

Afeias
23 Oct 2025
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वर्ष 2015 में मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी अभियान की शुरूआत की थी। इसमें भारत के शहरी भविष्य को बदलने का वादा किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, नवाचार, बेहतर शहरी नियोजन से स्थिर व दक्ष शहर बनाना था। 1.5 लाख करोड़ के निवेश के बावजूद आज शहर जलमग्न हो रहे हैं, और यह अभियान चुनिंदा सुंदरीकरण और भटकी हुई प्राथमिकताओं का प्रदर्शन बनकर ही रह गया है।

ऐसी ही एक योजना है अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन यानी अमृत भारत, जिसका उद्देश्य 500 शहरों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। इसके पहले चरण में 50,000 करोड़ रुपये तथा दूसरे चरण में 2.9 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया। फिर भी शहर वर्षा के दौरान टापुओं में बदल जाते हैं।

शहरों की ऐसी दुर्दशा के कारण –

  • विश्व बैंक के अनुसार भारत की शहरी आबादी 2050 तक करीब 95.1 करोड़ हो जाएगी। मेट्रोसिटीज का विस्तार हो रहा है तथा टियर-2 जैसे इंदौर, जयपुर सरीखे शहर विकास के नए केंद्र बन रहे हैं, इससे शहरी ढांचे पर बहुत दबाव पड़ता है।
  • अनियोजित निर्माण के कारण जल निकासी व्यवस्था, बस्तियों तथा परिवहन नेटवर्क के लिए सुदृढ़ तरीके से कार्य नहीं किया गया।
  • शहरों के सौंदर्यीकरण, ओवरब्रिज नवीनीकरण, स्ट्रीट लाइटों के डिजिटलीकरण और नियंत्रण केंद्र स्थापित करने जैसे सतही कार्यों को ज्यादा तरजीह दी गई।
  • शहरी विकास कार्यक्रम अभी भी अलग-अलग खांचों में डिजाइन किए जाते हैं। हर शहर की अलग जरूरतें होती हैं। इसीलिए दिल्ली जैसे शहरों की योजना दूसरे शहरों के लिए कारगर नहीं होगी।
  • भारत में संपत्ति कर अनुपालन बहुत कम है। जबकि स्टैंप शुल्क सबसे अधिक है, जो औपचारिक लेन-देन को हतोत्साहित करता है। इससे सुनियोजत विकास पर बुरा असर पड़ता है।

शहरों को अच्छा बनाने के उपाय –

  • शहरों के लिए हमें दीर्घकालिक नियोजन नीति बनानी होगी और इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाना होगा।
  • धोलेरा गिफ्ट सिटी, औरंगाबाद औद्योगिक शहर, ग्रेटर नोएडा द्वारा गीन फील्ड पहलों को आगे बढ़ाया गया है। 2024 में राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम भी शुरू किया गया। इनमें समावेशी शहरी विकास की व्यापक चुनौतियों पर भी कार्य किया जाए।
  • जिस तरह चीन ने शेंजेन को एक मछली पकड़ने वाले गाँव से प्रौद्योगिकी और वित्त के वैश्विक केंद्र में बदल दिया, वैसे ही भारत के शहरी केंद्रों को इच्छा शक्ति दिखानी होगी, जिससे लोग व निवेश दोनों शहरों की ओर आकर्षित हों।
  • शहरों के निर्माण में सिर्फ ऊँची इमारतों व राजमार्गों पर ध्यान न केंद्रित किया जाए, बल्कि बुनियादी सुविधाओं पर भी काम हो।
  • नई स्मार्ट सिटीज में स्टांप शुल्क कम हो और सुव्यवस्थित मंजूरी ली जाए, ताकि नए उपनगरीय शहर, शहरों के पास अवसर केंद्र के रूप में विकसित हो सके।
  • अच्छी तरह वित्त पोषित और वास्तव में रहने योग्य शहर बनाए जाएं।
  • शहरों की बाढ़ सिर्फ मौसमी घटना नहीं है, बल्कि इसे त्रुटिपूर्ण शहरी विकास की देन मानकर सही करना चाहिए।

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