खत्म होता नक्सलवाद

Afeias
24 Jun 2025
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हाल ही में नक्सल विरोधी अभियान में सरकार को बड़ी उपलब्धि मिली है। छत्तीसगढ़ में एक करोड़ के ईनामी नक्सल नेता बसवराजू को मार दिया गया है। नक्सलवाद को खत्म करने के पीछे सरकार के मंतव्य और राष्ट्रहित को समझा जाना चाहिए। यह भी कि यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है –

  • सालों से नक्सल या वामपंथी उग्रवादी हिंसा को भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती माना जाता रहा है। यह कश्मीर से भी बड़ी समस्या बन चुकी थी। 2006 में, मनमोहन सिंह ने भी नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 160 बताई थी। इसने निवेश को अवरुद्ध कर दिया था, और विकास को रोक दिया था। इससे इन क्षेत्रों में पिछड़ापन बना रहा।
  • विकास की कमी पर असंतोष को नक्सलवाद का मुख्य कारण कहा जा सकता है।
  • शोषण, असमान सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां, अपर्याप्त रोजगार के अवसर, भूमि सुधारों की कमी आदि बड़े कारण रहे हैं।

वर्तमान स्थिति –

  • सरकार ने अगले वर्ष 31 मार्च तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
  • नक्सल प्रभावित 7 राज्यों में पीड़ित जिलों की संख्या 18 रह गई है। यह पहले 9 राज्यों में 38 थी।
  • लगभग 90% नक्सली हिंसा अब चार राज्यों के छह जिलों में केंद्रित है।
  • इस आंदोलन के बडे़ नेताओं के मारे जाने से अनेक नक्सलियों की हिम्मत पस्त हो रही है। वे आत्मसमर्पण के लिए आगे आ रहे हैं।

सरकार को मौके के अनुसार इन क्षेत्रों में विकास की गति को तेज कर देना चाहिए, ताकि अब माओवादियों को अपनी हिंसक विचारधारा के लिए कोई समर्थक न मिल सके।

द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में 22 मई, 2025 को प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।