जांच के अधिकार में बढ़ोत्तरी

Afeias
02 Aug 2021
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Date:02-08-21

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फेसबुक और ट्विटर जैसी दिग्गज आई टी कंपनियों पर सरकार ने नकेल कसनी शुरू कर दी है। इसी संदर्भ में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विधानसभा में फेसबुक के एक वरिष्ठ अधिकारी को बुलाने को मान्यता देते हुए, संसद के एक अधिनियम द्वारा विनियमित मामलों में राज्य विधानसभाओं की शक्तियों की सीमाओं को मान्यता दी है। दिल्ली दंगों के विषय पर फेसबुक के भारत-प्रमुख ने तर्क दिया था कि दिल्ली की कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है। केंद्र सरकार का भी यही रूख था कि इस मामले में दिल्ली विधानसभा का कोई अधिकार नहीं है।

फेसबुक ने यह भी तर्क दिया था कि चूँकि यह मामला संसद के आई टी अधिनियम के अंतर्गत आता है, इसलिए इससे किसी राज्य सरकार का संबंध नहीं है। इस पर उच्चतम न्यायालय का यह वक्तव्य महत्वपूर्ण है कि “विधानसभा न केवल कानून बनाने का कार्य करती है, बल्कि प्रशासन के कई ऐसे कार्य करती है, जो विधानसभा का अनिवार्य हिस्सा होते हैं।”

यह फैसला केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच चल रही अधिकारों की रस्साकशी के दौरान आया है। यह ऐसे समय में भी आया है, जब सोशल मीडिया के बिचैलिए कानूनी रूप से नए आई टी नियमों के कुछ पहलुओं से लड़ रहे है। इस फैसले के कारण उनकी जिम्मेदारी, कई विधानमंडलों के प्रतिबढ़ जाएगी।

न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि सोशल मीडिया पर गलत सूचना का “विषय के विशाल क्षेत्रों पर सीधा प्रभाव पड़ा है, जो अंतत राज्यों के शासन को प्रभावित करता है।’’

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से अन्य राज्यों को भी सोशल मीडिया-मंचों की जांच का अधिकार मिलता है। यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसका सकारात्मक प्रभाव होगा।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।

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