एक अरब डोज के लिए पांच कदम
To Download Click Here.
भारत ने कोविड वैक्सीनेशन को जिस गति और क्षमता के साथ आगे बढ़ाया है, वह सराहनीय होने के साथ-साथ अनुकरणीय कहा जा सकता है। भारत के आकार और जनसंख्या को देखते हुए इस उपलब्धि के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की जानी चाहिए।
- सर्वप्रथम, राजनैतिक इच्छाशक्ति की प्रबलता ने यह कमाल कर दिखाया है। प्रधानमंत्री के चलाए हुए इस कार्यक्रम को राज्य व जिला स्तर पर तात्कालिक प्रभाव से अमल में लाया गया।
- भारत ने इससे पहले भी कई वृहद टीकाकरण कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संपन्न किया है। लंबे समय के अनुभव, ज्ञान और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे ने कोविड-19 से लड़ने में हमारी मदद की है। भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया के सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। भारत के पास 27,000 के लगभग कोल्ड चेन हैं। इन सबसे देश के दूर-दराज के स्थानों में मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली बनाने में मदद मिली है।
- भारत ने वैक्सीन और दवा की खोज और विनिर्माण में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया है। महामारी से पहले भारतीय टीकों ने मेनिन्जाइटिस, निमोनिया और डायरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से लाखों लोगों की जान बचाई है।
- भारत ने राष्ट्रीय टीकाकरण प्रयासों की डिजिटल निगरानी के लिए आईटी कौशल का इस्तेमाल किया है।
- किसी भी स्वास्थ्य कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण घटक लोगों की भागीदारी है। और भारतीय लोगों ने कोविड-19 टीकाकरण को सफल बनाया है। पोलियों उन्मूलन कार्यक्रम के अनुभव के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों ने जनसंख्या को संगठित करके, स्थानीय प्रभाविकों के माध्यम से लोगों की झिझक को दूर किया। मांग बढ़ाने के लिए स्थानीय सरकार और स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया गया। गलत सूचना और दुष्प्रचार को संबोधित करने के लिए परिष्कृत डिजिटल रणनीतियों का उपयोग किया गया। बड़े पैमाने पर मीडिया अभियान और टीका महोत्सव का आयोजन किया गया।
भारत ने दिखा दिया है कि नेतृत्व की दृढ़ता और स्वास्थ-क्षेत्र में शोध-अनुसंधान व निवेश के माध्यम से देश की जनता को स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित बिल गेट्स के लेख पर आधारित। 22 अक्टूबर, 2021