बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए नई क्षमता की जरुरत
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भारत की अर्थव्यवस्था में विकास के साथ ही वास्तविक और साइबर खतरे बढ़ रहे हैं। ये खतरे आतंकी समूहों से लेकर स्थानीय बदमाशों के कारण हैं।
साइबर हमलों की खबरें अक्सर आती रहती हैं। ऐसे हमले डिजिटल डेटा पर होते हैं, जिसके साथ जुड़े बुनियादी ढांचे पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके माध्यम से किसी संयत्र की आंतरिक प्रणाली को नियंत्रण में लेकर किये जाने वाले विस्फोट या अन्य नुकसान से निपटने के लिए हमारे पास कोई विधायी ढांचा या संस्थागत क्षमता नहीं है।
सुरक्षा में खामियां – हाल के कुछ वर्षों में रेलवे और टेलीकॉम टावर पर भीड़ के हमले बढ़े हैं। इस हेतु केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को सुरक्षा-दायित्व सौंपा गया है। लेकिन इसकी सीमा महत्वपूर्ण सरकारी बुनियादी ढांचे की सुरक्षा तक ही है।
दूसरी ओर, निजी सुरक्षा एजेंसियों के पास सीमित हथियार लाइसेंस होते हैं। सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियम भी बहुत कड़े हैं। वास्तविक हमले के समय ऐसी निजी सुरक्षा बेकार हो जाती है।
भारत को एक व्यापक महत्पूर्ण बुनियादी ढांचा संरक्षण अधिनियम की जरूरत है। साथ ही अमेरिका की साइबर सुरक्षा और बुनियादी ढांचा सुरक्षा एजेंसी जैसी एक नोडल एजेंसी की जरूरत है। बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में सरकारी और निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल के नियम होने चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 अक्टूबर, 2024