भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita, 2023 – BNSS)
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परिचय –
- यह संहिता इससे पूर्व के आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of criminal procedure – CrPC) को विस्थापित करती है।
- इस संहिता का मुख्य संबंध आपराधिक कार्यवाही आरम्भ करने, गिरफ्तारी, जाँच, आरोप पत्र, मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही, सहायक लोक अभियोजक की नियुक्ति, ट्रायल (सुनवाई), जमानत, निर्णय तथा दया याचिका आदि से है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस संहिता के द्वारा प्रत्येक कार्यवाही के लिए समय-सीमा का निर्धारण कर दिया गया है।
प्रमुख प्रावधान –
- अब संज्ञेय अपराधों की सूचना (जिनमें पुलिस बिना वारन्ट के गिरफ्तार करके जाँच शुरु कर सकती है) मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक माध्यम से दी जा सकेगी। थाने में इसे दर्ज किया जायेगा, जिस पर सूचना देने वाले व्यक्ति को तीन दिन के अंदर हस्ताक्षर करने होंगे।
- कहीं से भी ई-मेल से किसी भी अपराध की सूचना किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकेगी।
- महिला पीड़िता का बयान केवल महिला अधिकारी द्वारा ही दर्ज किया जायेगा।
- गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी का नाम, उसकी पहचान तथा उसका नम्बर उसकी वर्दी पर ऐेसी जगह लिखा होना चाहिए, जहाँ से उसे आसानी से देखा और पढ़ा जा सके।
- लोकसेवकों से जुड़े अपराध के मामलों में जहाँ मुकदमा चलाने के लिए विभागीय अनुमति की आवश्यकता है, वहाँ अधिकारी को 120 दिन के अन्दर निर्णय लेना होगा। इस दौरान निर्णय न लेने पर भी मुकदमा चलाया जा सकेगा।
किन्तु दुष्कर्म एवं महिलाओं के विरुद्ध होने वाले कुछ अपराधों तथा मानव तस्करी जैसे मामलों में ऐसे किसी भी प्रकार की अनुमति आवश्यक नहीं होगी।
- यौन उत्पीड़न के पीड़िता की चिकित्सा जाँच रिपोर्ट परीक्षक के द्वारा सात दिनों के अन्दर जमा कर देनी होगी।
- आरोप तय करने का काम सक्षम मजिस्ट्रेट द्वारा आगे की पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर किया जाना होगा।
- पुलिस जाँच में वीडियोग्राफी से जवावदेही सुनिश्चित की जायेगी।
- तलाशी के लिये भी टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जायेगा।
- यदि कोई घोषित अपराधी मुकदमें से बचने के लिए भाग गया है, तो उसकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाकर फैसला सुनाया जा सकता है।
- आपराधिक न्यायालयों को बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर फैसला देना होगा। विशेष परिस्थितियों में इसे 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकेगा।