भारत में पलायन से जुड़े कुछ पहलू

Afeias
15 Feb 2025
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  • भारत में पलायन का सिलसिला सदियों से चलता आया है। राजस्थान के मारवाडियों ने कारोबार के लिए तथा मराठाओं ने साम्राज्य विस्तार के कारण दूसरे क्षेत्रों में पलायन किया।
  • आंतरिक पलायन की स्थिति हमें कोविड के समय तब ज्यादा दृष्टिगत हुई जब मजदूरों को हमनें अपने घर के लिए पैदल तक जाते हुए देखा।
  • जब कोई मजदूर पलायन करता है; विशेषकर तब जब शहर अनियोजित एवं अव्यवस्थित हो तो लोगों पर इनका गहरा भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक प्रभाव वहाँ होता है। कभी-कभी बुनियादी जरूरतों के लिए भी लोगों को जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • हमे प्रवासियों के लिए उचित जीवन यापन के साथ-साथ सुनियोजित शहरों का विकास करना चाहिए।
  • वर्ष 2005 में वैश्विक आबादी का 12% हिस्सा (73.6 करोड़ लोग) अपने मूल स्थान से बाहर जीवन यापन कर रहा है।
  • आर्थिक विकास के कारण गाँवों से शहरों की ओर आंतरिक पलायन बढ़ा है। उच्च आय वाले देशों में भी पिछली शताब्दियों में ग्राम से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है।
  • पलायन के कारण प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है जिससे समानता भी आती है।
  • भारत में, साक्षरता में वृद्धि तथा ऊँची वृद्धि दर के कारण युवाओं का आंतरिक पलायन बढ़ना चाहिए। पर यह पलायन घट रहा है।
  • प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् द्वारा ‘400 मिलियन ड्रीम्स‘ शोधपत्र जारी हुआ है, जिसमें पलायन की जानकारियां मिलती है। इसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि 2023 में प्रवासियों की संख्या 40.2 करोड़ थी, जो 2011 की जनगणना में 45.6 करोड़ से कम थी।
  • 2011 से 2023 के बीच पलायन में कमी आई है। राज्यों के बीच पलायन को बढ़़ावा देना चाहिए। इससे श्रम बाजार की क्षमता बढ़ेगी तथा राष्ट्रीय एकता-अखंडता को बढ़ावा मिलेगा।

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