भारत में बाल मृत्यु दर पर अपडेट
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- 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 70% से ज्यादा बच्चों की मृत्यु कुपोषण से जुड़ी हुई है।
- ज्यादातर मामलों में, कुपोषण के लिए जिम्मेदार स्थितियां मृत्यु का कारण बनती हैं। जैसे –
(1) माता के कुपोषित होने के कारण जन्म के समय बच्चे का कम वजन मृत्यु का कारण बन जाता है।
(2) गर्भावस्था के दौरान माता का संक्रामक रोगों से ग्रसित होना भी कम वजन का कारण है।
- कुपोषण से होने वाली मृत्यु निम्न आय वाले देशों में बहुत अधिक है। इन देशों में बच्चों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। संक्रामक रोग भी यहाँ आम होते हैं।
भारत में बदलती स्थिति –
- 1990 की तुलना में 2021 में बाल मृत्यु दर में कमी आई है। यह 20.4 लाख से गिरकर 5 लाख रह गई है। यानि 80% की गिरावट है।
- पिछले कुछ दशकों में साफ पानी, स्वच्छता में सुधार और व्यापक उपचार सुविधाओं से डायरिया से होने वाली मृत्यु कम हुई है।
- बाल मृत्यु दर में गिरावट का एक कारण टीकाकरण भी है।
- गर्भावस्था के दौरान और प्रसव उपरांत मातृ-शिशु देखभाल सुविधांए बढ़ी हैं।
- मलेरियारोधी दवाओं और मच्छरदानियों ने मलेरिया से होने वाली मृत्यु दर को कम किया है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित हेत्रा रिची के लेख पर आधारित। 10 सितंबर, 2024
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