भारत-यूरोप संबंध

Afeias
17 Nov 2020
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Date:17-11-20

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यूरोप की बढ़ती जीडीपी के साथ ही वह भारत के लिए विशेष महत्व रखता है। ब्रिटेन के साथ उसके संबंध अपने आप में अलग हैं। लेकिन यूरोपियन यूनियन भी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और दूसरे नंबर का निर्यात स्थान है। वर्तमान में भारत के बुनियादी ढांचों के विकास में यूरोपियन यूनियन की अहम् भूमिका है।

ध्यान रखने योग्य कुछ बिंदु –

  • भारत की विदेश नीति में यूरोप को रेखांकित करते हुए जुलाई 2020 में कुछ द्विपक्षीय वर्चुयल बैठकें की गईं। यूरोपियन यूनियन और भारत के बीच 15वा सम्मेलन भी किया गया। इसमे कोविड सहयोग के अलावा समुद्री एवं अन्य रक्षा सहयोगों पर चर्चा हुई।
  • यूरोप अपनी आपूर्ति श्रृंखला की दिशा भारत की ओर मोड़ना चाहता है।
  • भारत और फ्रांस के बीच गहरी राजनीतिक साझेदारी है , जो भारत को रक्षा , अंतरिक्ष और परमाणु शक्ति के क्षेत्र में लगातार सहयोग करता है। हाल ही में भारत ने फ्रांस से अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल की खरीद की है।
  • दूसरी ओर जर्मनी , भारत का सबसे बड़ा ट्रेड और एफ डी आई साझेदार है।
  • कोविड के दौरान भारत ने घरेलू मांग के होते हुए भी यूरोप को पीपीई किट और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की।
  • चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भी भारत और यूरोप के संबंध बहुत महत्व रखते हैं। इनमें 5जी और एआई दो विशेष महत्व के क्षेत्र हैं।
  • पाकिस्तानी आतंकवाद पर फ्रांस और जर्मनी का बढता शिकंजा भी भारत के हित में है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-फ्रांस-आस्ट्रेलिया का त्रिपक्षीय समझौता भारत और फ्रांस दोनों के लिए हितकर रहेगा।
  • एक मजबूत ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन वर्षों से वैश्विक स्थिरता की आधारशिला था। हाल के वर्षों में इस गठजोड़ में कुछ बदलाव आए हैं। यह बदलाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ओर झुका हुआ है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र , अफ्रीका , खाड़ी देशों और बहुपक्षीय संबंधों की दृष्टि से फ्रांस और जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय नीति में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है।

निकट भविष्य में भारत अपनी सुरक्षा परिषद् का कार्यकाल शुरू करने वाला है। उसने जर्मनी , जापान और ब्राजील के साथ मिलकर सुरक्षा परिषद् में सुधार का भी बीड़ा उठाया है।

अमेरिका-चीन के बीच के तनाव ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहुपक्षीय मंच के महत्व को किनारे कर दिया है। यूरोप की तरह भारत भी इसके पुनर्जीवित करने का पक्षधर है। अंतः उसने फ्रांस-जर्मनी द्वारा चलाए गए अभियान का समर्थन किया है , जिसमें एक सुधरे हुए बहुपक्षीय विश्व का स्वप्न है।

भारत और यूरोप , लोकतंत्र और व्यापारिक संबंधों के मामले में प्राकृतिक साझेदार हैं। एक सक्रिय और सकारात्मक साझेदारी के साथ , वे एक-दूसरे से लाभ लेते हुए शक्ति बढ़ा सकते हैं।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित मनजीव सिंह पुरी के लेख पर आधारित। 30 अक्टूबर , 2020