भारत डेटा सेंटर की पानी से जुड़ी चुनौतियां
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डेटा सेंटर के विस्तार के लिए सभी देश उत्सुक रहते हैं। भारत भी अपने स्तर पर ऐसा करने का इच्छुक है।
इससे जुड़ी चुनौतियां –
- सभी डेटा सेंटर कई मेगावाट बिजली और शीतलन के लिए लाखों लीटर पानी की खपत करते हैं। पानी एक दुर्लभ संसाधन है। यही कारण है कि अमेरिका में भी नए डेटा सेंटर बनाने के प्रस्तावों का विरोध हो रहा है।
- भारतीय डेटा सेंटर की क्षमता 2024 और 2027 के बीच लगभग 80% बढ़ने की संभावना है। इस बीच, डेटा सेंटर में पानी की खपत 2025 के 150 अरब लीटर से बढ़कर 2030 में 360 अरब लीटर हो जाने की संभावना है।
- ये केंद्र साधारण नदी के पानी से ठंडे नहीं हो सकते है। यह पीने योग्य होना चाहिए।
- वर्तमान में किसी भी भारतीय शहर में निवासियों के लिए भी साल भर पर्याप्त पानी नहीं है। इसलिए या तो डेटा सेंटर या लोगों को प्यासा रहना पड़ेगा। जब तक कि अभी से नागरिक जल आपूर्ति में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर निवेश नहीं किया जाता।
फिलहाल, भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के डेटा की सुरक्षा के लिए इनकी और जरूरत है। आगे चलकर तकनीक इन केंद्रों की पानी की जरूरतों को कम कर सकती है। ये ग्रे-वाटर यानि प्रसंस्कृत सीवेज पर चलने में सक्षम हो सकते हैं। अभी के लिए पानी की आपूर्ति में तेजी से वृद्धि करना जरूरी है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 अक्टूबर, 2025