भारतीय शहरों के मास्टर प्लान कहाँ हैं ?

Afeias
14 Nov 2023
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शहरीकरण विकास और आर्थिक समृद्धि का अभिन्न अंग है। यह जरूरी है कि विकास योजनाएं व्यावहारिक, अनुकूलनीय और उभरती जरूरतों के प्रति उत्तरदायी हों, और नागरिकों के विचारों को एकीकृत करें। लेकिन दुर्भाग्यवश भारत के शहरों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है।

कुछ बिंदु –

  • फिलहाल भारत की शहरी आबादी 45 करोड़ है। अगले 25 वर्षों में इसके 80 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है।
  • इसी के साथ शहरी सकल घरेलू उत्पाद भी 60% से बढ़कर 80% हो जाएगा।
  • हमारे शहर इसके लिए अभी तैयार नहीं हैं। 2023 के वार्षिक सर्वे ऑफ इंडियाज सिटी-सिस्टम के अनुसार 39% राज्यों की राजधानियों के पास एक्टिव मास्टर प्लान या जरूरी ब्लूप्रिंट नहीं है, जो अगले दो दशकों में होने वाले विकास की दिशा तय कर सकें।
  • 2021 की नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि कस्बों सहित 65% शहरी बस्तियों में मास्टर प्लान की कमी है, जिसके परिणामस्वरूप बेतरतीब ढंग से शहरी विस्तार हो रहे हैं।
  • उभरते संकट के लिए तीन मुख्य मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है -योजनाओं की अत्यंत कमी, वित्तीय बाधाएं और स्थानीय सरकारों की सीमित शक्तियां।

इन तीनों ही बिंदुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श के साथ नीतिगत बदलावों की जरूरत है। उम्मीद की जा सकती है कि शहरी विकास मंत्रालय भारत के शहरों को भविष्य के लिए पर्याप्त रूप से तैयार करने हेतु कदम उठाएगा।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 अक्टूबर, 2023