भारत की वन स्थिति रिपोर्ट से संबंधित बिंदु

Afeias
20 Jan 2025
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  • नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि देश का 22% हिस्सा वन क्षेत्र है
  • इसमें यह भी कहा गया है कि 2.29 अरब टन अतिरिक्त कार्बन सिंक प्राप्त किया जा चुका है। 2030 के पेरिस लक्ष्यों में 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइ ऑक्साइड समतुल्य कार्बन सिंक की हमारी प्रतिबद्धता है।
  • आठ पर्वतीय राज्यों में वन-क्षेत्र में गिरावट चिंताजनक है। उत्तराखंड के 41% वन क्षेत्रों में आग लगने की आशंका है।
  • वन पंचायतों को सशक्त बनाने तथा पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को बहुत कुछ करना चाहिए। लेकिन वह बहुत कम कर रही है।
  • रबर के बागानों का तेजी से विस्तार हो रहा। त्रिपुरा के कुल वन-क्षेत्र में यह 16% हिस्से को कवर करता है। इसका व्यावसायिक लाभ है, परंतु यह जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को छीन लेता है।
  • जैव विविधता वाले पश्चिमी घाट, नीलगिरी और पूर्वोत्तर में वन-क्षेत्र के नुकसान, कच्छ और अंडमान में मैंग्रोव के सिकुड़ने और खुले प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर मंडरा रहे खतरों के बारे में रिपोर्ट कुछ नहीं कहती है।
  • रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया है कि सरकार जिस भूमि के कार्बन सिंक का अनुमान लगाकर उसे विशिष्ट उपयोगों के लिए दे रही है, वे वाकई में क्या उसके लायक हैं।
  • जैव विविधता वाले क्षेत्रों में वनों के नुकसान की अन्यत्र वृक्षारोपण से क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती है। इस क्षतिपूर्ति के नाम पर किया जाने वाला वाणिज्यिक वृक्षारोपण स्थिति को और भी खराब कर रहा है।
  • सरकार पर्यावरण सुरक्षा उपायों को कमजोर कर रही है। हाल ही में वन (संरक्षण) संशोधन अधिनिमय 2023 ने 1980 के अधिनियम के दायरे को और कम कर दिया गया है।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 24 दिसंबर, 2024