भारत के लिए तिब्बत का महत्वपूर्ण मुद्दा

Afeias
15 Jul 2024
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हाल ही में भारत में रह रहे तिब्बत के धर्मकुरू दलाई लामा से मिलने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था। चीन ने इसका कड़ा विरोध किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन जल्द ही ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। यह चीन को तिब्बती नेता दलाई लामा व अन्य के साथ बातचीत करने के लिए आह्वान करता है।

भारत के लिए तिब्बत पर अपना पक्ष रखने का समय –

1) फिलहाल भारत तिब्बत की निर्वासित सरकार के मेजबान देश की स्थिति में है।

2) भारत से अपेक्षा की जाती है कि वह दलाई लामा के बाद भी तिब्बती सरकार और देश में 70,000 से अधिक तिब्बती शरणार्थियों को अपना समर्थन जारी रखेगा।

3) तिब्बती शरणार्थी आधुनिक इतिहास में पुनर्वास के सबसे सफल उदाहरणों में से एक हैं। यह भारत ही है, जो तिब्बतियों की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है।

4) भारत-चीन संबंध बहुत खराब स्थिति में हैं। दोनों सेनाएं उच्च हिमालय में आमने-सामने हैं। भारत ने वर्षों से ‘एक चीन‘ नीति का उल्लेख करना बंद कर दिया है। और चूंकि चीन भारत को अपने बराबर नहीं मानता और सीमा-विवाद को एक सुविधाजनक राजनीतिक उपकरण के रूप में देखता है, इसलिए भारत को तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 जून, 2024