बदलती नौकरियां के साथ तालमेल बनाए रखें
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रोजगार के लिए दिन पर दिन बदलती प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बैठाना जरुरी होता जा रहा है। केंद्र सरकार ने एक सूचकांक बनाकर इस कौशल-अंतर को भरने की योजना बनाई है।
कुछ बिंदु –
- कौशल में आया अंतर मुख्यतः एआई और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी तकनीकों में है। सूचकांक से कौशल समीकरण के मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों में मदद मिलेगी।
- अल्प और अपेक्षित कुशलता की एक सूची बनाने से कर्मियों, उद्योगों, अकादमियों और नीतिनिर्माताओं को श्रम बाजार को अधिक तरल बनाने में मदद मिलेगी।
- कौशल के बढ़ने के साथ ही नियोक्ताओं को नई तकनीकों को जल्द अपनाने में मदद मिलेगी।
- बेरोजगार युवाओं को ऐसे क्षेत्रों में कौशल प्राप्त करने के लिए मोड़ा जा सकेगा, जहाँ उन्नत तकनीकों को अपनाने की जरुरत है।
- नौकरी बाजार की बदलती मांगों के अनुसार शैक्षणिक संस्थान भी पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर सकेंगे।
- मांग के अनुसार निवेश को भी सही दिशा में प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
ऐसा अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में सभी औपचारिक नौकरियों में से एक तिहाई एआई के कारण खतरे में पड़ सकती है। अतः सरकार को रोजगार में तेजी लाने के लिए कौशल-अंतर सूचकांक की बहुत जरुरत है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स‘ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 सितंबर, 2024
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