असफल होती उड़ान योजना
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2016 में हवाई यात्रा को सस्ता बनाने और छोटे शहरों को जोड़ने के लिए सरकार ने उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना शुरू की थी। इस कार्यक्रम के तहत अब तक ग्यारह एयरपोर्ट बंद हो चुके हैं। कुछ पर तो कभी एक भी कमर्शियल फ्लाइट नहीं चली। इस असफलता से जुड़े कुछ बिंदु –
- उड़ान योजना की असफलता सबसे का बड़ा कारण नीति की महत्वकांक्षा और असल डिमांड की खराब समझ के बीच तालमेल न होना है।
- बड़ी एयरलाइंस सस्ते किराए और कम यात्रियों के साथ उड़ानें संचालित नहीं कर पाती हैं।
- छोटी एयरलाइंस के साथ अलग समस्याएं हैं। इन्हें उड़ने के लिए अबाधित बिजनेस चाहिए।
- कई क्षेत्रों में रेल नेटवर्क और सड़कों का जाल इतना अच्छा है कि लोग इनका ही इस्तेमाल करना चाहते हैं। इनकी तुलना में हवाई यात्रा महंगी भी पड़ती है।
- भारत का प्राइवेट एविएशन कल्चर लंबे समय से शिथिल पड़ा हुआ है। अच्छा है कि धीरे-धीरे यह अब शुरू हो रहा है। लेकिन छोटे रीजनल एयरपोर्ट तक पहुँचने में इसे समय लगेगा।
इस वर्ष के बजट में सरकार ने एक मॉडीफाइड उड़ान योजना की घोषणा की है। इसमें अगले दस साल में 120 नए गंतव्य और 4 करोड़ एक्स्ट्रा पैसेंजर का वादा किया गया है। इससे पहले आधारभूत बदलाव किए जाने चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 7 नवंबर, 2025