आशा कार्यकर्ताओं के 20 साल

Afeias
08 Apr 2025
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  • 2005 में, केंद्र ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरू किया था। समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पहुँच के बीच की कड़ी के रूप में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का नया कैडर बनाया गया था। इसे आशा कार्यकर्ता कहा गया। अंग्रेजी में एक्रीडेटेड सोशल हैल्थ एक्टीविस्ट यानि एएसएचए नाम दिया गया।
  • आज देश भर में दस लाख से अधिक आशाएं हैं। ये सभी ग्रामीण भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा संचालन का आधार बनी हुई हैं।
  • समुदाय में सफाई की निगरानी भी इन पर है।
  • कोविड – 19 के दौरान इन कार्यकर्ताओं ने इतनी भरोसेमंद भूमिका निभाई कि 2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन्हें पुरस्कार के लिए चुना। इन्हें ‘स्वास्थ्य की रक्षा और संवर्धन में उत्कृष्ट योगदान‘ के लिए मान्यता दी गई।
  • हाल ही में ग्लोबल पब्लिक हेल्थ अध्ययन ने बताया है कि आशा से जुड़ने पर महिलाओं के लिए मातृत्व सेवा तक पहुंच और सुरक्षित प्रसव की संभावना 1.6 गुना बढ़ गई है।
  • एक अनुमान के अनुसार, आशा कार्यकर्ताओं की आय उनके काम के अनुरूप घटती-बढ़ती है। सरकार उन्हें स्वयंसेवक ही मानती है। इस नाते उन्हें पर्याप्त मुआवजा और स्थायी कर्मचारियों वाली अन्य सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं।
  • 2018 में, सरकार ने दुर्घटनाओं, मृत्यु और विकलांगता के लिए कवरेज प्रदान करते हुए आशा कार्यकर्ताओं को लाभ पैकेज की मंजूरी दी थी। लेकिन इनके काम के बोझ और महत्व को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। इनके लिए भत्ते और अन्य पैकेज को बढ़ाया जाना चाहिए।

द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।