आलोचना या असहमति कोई अपराध नहीं

Afeias
04 Apr 2024
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  • हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने सरकार की नीतिगत कार्रवाईयों पर असहमति को किसी व्यक्ति या समूहों के बीच दुश्मनी या वैमनस्य पैदा करने का आधार मानने से इंकार कर दिया है, क्योंकि संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
  • न्यायालय का कहना है कि असहमति और लोकतंत्र का सह अस्तित्व है और दोनों साथ-साथ चलते हैं।
  • भारत की समस्या अनुचित प्रतिबंध और मनमानी गिरफ्तारियों की है। ऐसा होने से लोकतंत्र में विश्वास कमजोर होता है। अतः उच्च्तम न्यायालय ने लोकतंत्र के हित में कहा है कि ‘हम कमजोर और अस्थिर दिमाग वाले लोगों के मानको को लागू नहीं कर सकते हैं।’

न्यायालय का उक्त वक्तव्य हाल ही के प्रकरण के संदर्भ में आया है, जब एक व्हाट्एप ग्रुप पर अनुच्छेद 370 को हटाने को ‘काला दिन’ बताया गया, और पाकिस्तान को उसके स्वतंत्रता दिवस पर बधाई दी गई। इसके चलते एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया।

द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 9 मार्च, 2024