गर्व से कहो कि हम उदार हिंदू हैं

Afeias
23 May 2017
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Date:23-05-17

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हे उदार हिंदुओ

  • आप हैं और रहेंगे चाहे आपकी आवाज़ को दबाने की कितनी भी कोशिश की जाए, क्योंकि आपको पता है कि आज आपको बड़े अनपेक्षित ढ़ंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। जो कठोर आवाज़ें आपकी तरफदारी करती चीख रही हैं, जिन रूढ़िवादी हिंदुओं ने ‘हिंदू‘ नाम के आकाश पर कब्जा कर रखा है, और जो अन्य धर्मों के विरूद्ध पवित्रता के नाम पर युद्ध करने को उतारू हैं, वे सब आपका प्रतिरूप नहीं माने जा सकते। आपकी भक्ति तो अवचेतन के स्तर की है, जो हर जगह है। वह किसी भी रूप में तानाशाही नहीं हो सकती। आपने तो भजन, कव्वाली और कैरोल्स को समानभाव से गाया है। आपने तो कभी भी धार्मिक पहरेदारों की अधीनता स्वीकार नहीं की। न ही कभी आपको राजनैतिक भक्ति के माध्यम से अपने हिंदुत्व को सिद्ध करने की चुनौती दी गई है।
  • लेकिन आज अचानक आपको एक पक्का शाकाहारी, मुस्लिम विरोधी और नैतिकतावादी समानता का पक्षधर बताया जा रहा है।आपका धर्म प्रेम की सीख देता है। परंतु आपको नफरत करने को कहा जा रहा है। आपकी परंपरा वाद, विवाद और सम्वाद की रहती आई है। परंतु आपको प्रश्न न करने की सीख दी जा रही है। आपके देवी-देवता सदैव प्रसन्नचितऔर आनंदित रहते देखे गए हैं। परंतु आपको क्रोधित रहने का ज्ञान दिया जा रहा है। एक सच्चे हिंदू की पहचान तो उसकी उदारता ही है।
  • आपका धर्म तो सदैव आनंद और मित्रता से पूर्ण एक ऐसा धर्म है, जिसका हर तार घर-घर से जुड़ा हुआ है। तभी तो आपके देवी-देवताओं की कथाएं घरों में ऐसे सुनी-सुनाई जाती हैं, जैसे वे परिवार के ही किसी सदस्य के किस्से हों। हाँ, जाति और अंधविश्वास ने आपके धर्म में घोर अन्याय किया है। परंतु फूले, राममोहन राय तथा विवेकानंद जैसे समाज-सुधारक आपके धर्म ने ही उत्पन्न किए, जिन्होंने इन कुरीतियों को दूर करके धर्म की शुचिता को बनाए रखने का पूर्ण प्रयास किया।
  • आपका विश्वास, सिंदूर और गेंदे की संस्कृति की खुशबू से सिंचित जीवन को आनंद प्रदान करता है। यह ऐसा अकथ्य आनंद है, जो आत्मा पर मरहम का काम करता है। फिर कब और कैसे आपका धर्म अपमान, ईश-निन्दा, धर्मांतरण, लव-जिहाद और गौरक्षा के नाम पर रक्त से सन गया ? कब में यह भय और भीड़-तत्रं द्वारा शासित एक दस्तावेज के रूप में परिवर्तित हो गया ? आध्यात्मिकता के निर्झर की जगह इसमें एफ आई आर के झरने कब से बहने लगे ?
  • उदार हिंदुओ, आप अपने धर्म में आए इन परिवर्तनों को शायद पहचानते ही नहीं हैं। आप पहचानेंगे भी क्यों ? आप तो कबीर, मीरा, चैतन्य और राम-कृष्ण की वंश परंपरा के हैं, और आपको पता है कि हिंदू धर्म ने हमेशा ही अनेकता की स्थिति से सामंजस्य स्थापित किया है। क्या धर्म के नाम पर मोहम्मद अखलाख पर आक्रमण करने वाले, मांसाहारियों, कलाकारों या लेखकों पर आक्रमण करने वाले रूढ़िवादी लोग, अध्यात्म के केंद्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने वाले हिंदू धर्म के प्रतिनिधि कहे जा सकते हैं ? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता। आज का उदार हिंदू उसके नाम पर आक्रमण और हत्या करने वाले लोगों द्वारा आतंकित है। वह इस बात से भी डरा हुआ है कि अगर गौ रक्षक उसके प्रतिनिधि बनते रहे, तो समस्त विश्व हिंदू धर्म के बारे में क्या सोचेगा ?हिंदू धर्म तो मोक्ष के रास्ते पर अकेले चलने वालों के लिए एक विश्वास पथ है, जहाँ पथिक अकेले साधना करता है और अपना मार्ग ढूंढता है। हिंदू धर्म ने आज तक किसी अन्य राह के पथिक को फुसलाकर अपनी राह पर कभी लाने का प्रयत्न क्यों नहीं किया ? क्योंकि यह धर्म अन्य सभी धर्मों का सम्मान करता है। इसमें ईश्वर को जाने वाला हर मार्ग सम्मानित है। जैसा कि रामकृष्ण परमहंस ने भी कहा है : जतो मत ततो पथ। यानी जितने मत हैं, उतने ही पथ भी हैं।
  • एक सच्चे हिंदू को डरने या डराने का कोई कारण नहीं है। आप नास्तिक होते हुए भी हिंदू हो सकते हैं। उपनिषदों में ईश्वर की बात नहीं की गई है। कुंभ मेले में सूर्य, नदी और आपके बीच कोई पुजारी तब तक नहीं आता, जब तक आप न चाहें। हिंदू धर्म ने कभी राजनैतिक सत्ता को हथियाने का प्रयत्न नहीं किया। ऐसे धर्म को कभी तलवार उठाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, जो अजेय रहा है। इसका कारण इसका विस्तृत और उदार स्वरूप है, जो इसे विशिष्ट बनाता है। एक हिंदू किसके लिए शस्त्र उठाए? शैव, वैष्णव या तांत्रिक के लिए ? इस धरती पर चाहे मुगल आए या अंग्रेज, कोई भी हिंदू धर्म को नष्ट नहीं कर सका। यह शाश्वत है। इस धर्म के लिए कभी कोई भय का कारण नहीं बन सका।
  • वर्तमान में हिंदुत्व के पैरोकार राजनीतिक शक्ति प्राप्त करके हिंदू धर्म की आध्यात्मिकता की उस विशिष्टतता को समाप्त करने में लगे हुए हैं, जिसने उसे शाश्वत बनाया है। ईसाई धर्म से राजसत्ता को चर्च के चंगुल से मुक्त करने में वर्षों लग गए। इस्लाम भी ऐसे कट्टरपंथियों से घिरा चला आ रहा है जिन्होंने उसे अपनी बपौती बता रखा है। अब कुछ हिंदुत्ववादी ऐसे ऊभर आए हैं, जो इस्लाम और ईसाई धर्म की तरह ही राजनीतिक आकाओं को धार्मिक जनता से अलग करने के लिए खूनी संघर्ष करने में भी नहीं हिचकते हैं। सच कहा जाए, तो हिंदुत्व का राजनीतिकरण करके उसकी विलक्षण शक्ति को नष्ट किया जा रहा है।इतने विदेशी आक्रमण और रासत्ता के संरक्षण के अभाव के बावजूद भी आखिर हिंदू धर्म क्यों सदियों से डटा हुआ है ? इस बात का रहस्य इसकी अनेकता में है। चर्च की तरह कभी कोई इसकी एक सर्वोच्च सत्ता नहीं रही। कोई एक विश्वास मत नहीं रहा। कोई एक आध्यात्मिक सत्ता नहीं रही। हिंदू धर्म को कभी राजनैतिक संरक्षण की आवश्यकता ही नहीं पड़ी।अब समय आ गया है, जब हम अपने धर्म को वापस प्राप्त करें। उदार हिंदुत्व का एक घोषणापत्र तैयार करें, और उस पर अमल करें। दृढतापूर्वक यह कह सकें कि हमें राम जन्मभूमि पर ही राम मंदिर की कोई आवश्यकता नहीं है। हमारे राम तो घट-घट वासी हैं।
  • एकेश्वरवाद की स्थापना, किसी एक मत की सत्ता की स्थापना, एक जाति या कुल या वंश को सर्वोच्च मानकर, एक भाषा, एक तरह के खानपान के प्रति अपनी जड़ता को सिद्ध करके हम केवल अपने पूर्वजों के उस दृढ़विश्वास को ठेस पहुँचाने के अलावा कुछ नहीं पा सकेंगे, जिसे वे लोग चकराने वाली विभिéताओं के बावजूद कायम रखते चले आए हैं।यह दिखाने का समय आ गया है कि हिंदू धर्म का अस्तित्व गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्याओं, पुलिस शिकायतों और धर्म के नाम पर सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा के प्रयोग से बहुत ऊपर है। आगे बढ़िए और सबको बता दीजिए कि आप उस महान धर्म के अनुगामी हैं, जिसे दुनिया के अनेक विद्वान, हित्पी और बीटल जैसे लोग गले लगा चुके हैं। इसे सस्ती राजनीति के हाथों नष्ट न होने दीजिए। उदार हिंदुओं, आपका समय आ गया है।

टाइम्स ऑफ  इंडिया में प्रकाशित सागरिका घोष के लेख पर आधारित।

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