समय की कीमत आंकने का वक्त
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प्रारम्भिक परीक्षा के लिए फार्म भर देने को आपको यूपीएससी के साथ कायम किये गये एक लिखित रिष्ते के रूप में लेना चाहिए। यदि आप अपने इस रिष्ते की पवित्रता और प्रतिबद्धता के प्रति थोड़े भी जागरूक और ईमानदार हो जायेंगे, तो आपकी यह मनोवैज्ञानिक स्थिति आपके अंदर निरंतर ऊर्जा पैदा करती रहने वाली छोटी, प्यारी सी एक ऐसी अदृष्य मषीन स्थापित कर देगी, जो आपके सफलता की मंजिल तक की यात्रा के दौर में आपको थकने नहीं देगी। अब यह पूरी तरह आपके ऊपर है कि आप इस रिष्ते को स्वीकार करते हैं या नहीं। और यदि स्वीकार करते हैं, तो उसे निभाने का वचन देते हैं या नहीं। परीक्षा का आपका परिणाम इसके प्रभाव से बचा नही रह सकता।
आइये, आगे बढ़ते हैं।
समय के मामले में फिलहाल आप सभी की स्थिति उस निम्न मध्यमवर्गीय आय वाले उस युवक की तरह हो गई है, जिसके पर्स में बहुत थोड़े से ही गिने-चुने रुपये हैं। उस युवक को अपने इतने ही रुपयों से एक बड़े शहर में तीन महिने तक गुजारा करने की चुनौती को पूरा करना है। यह करना ही है। इसमें आपकी च्वाइस नही है। आप इसे कैसे पूरा करेंगे ? जाहिर है कि पर्स में मौजूद रुपयों का बहुत ही सोच-समझकर इस्तेमाल करके। यहाँ मैं इसी “सोच-समझकर इस्तेमाल करने“ के मामले में आपकी कुछ मदद करना चाह रहा हूँ।
समय आपके लिए अब सबसे कीमती वस्तु बन चुकी है। हालात चाहे कुछ भी क्यों न हों, आपको उसे खोने नही देना है। इसके बारे में बहाना एवं झूठे तर्क आपको तात्कालिक आत्मसंतुष्टि तो दे देंगे, लेकिन परिणाम नहीं दे सकेंगे।
आने वाले तीन महिनों के लिए आपको अपना ऐसा एक ठोस किन्तु व्यावहारिक टाइम टेबल लिखित रूप में बना लेना चाहिए, जो प्री-परीक्षा की आपकी आवष्यकताओं को पूरा करने वाला हो। आपको कितना समय चाहिए, और वह समय आप कैसे और कहाँ से निकाल पायेंगे, यह पूरी तरह आप ही समझ सकेंगे। लेकिन जो समय चाहिए, वह तो चाहिए ही। यहाँ समझौतावादी नीति काम नही करती है। फिर भी कुछ सामान्य बातें तो बताई ही जा सकती हैं।
- अब शेष इन तीन महिनों को पूरी तरह परीक्षा के नाम कर दें। आप मेरे कहने का मतलब यह न लगायें कि “सब कुछ छोड़छाडकर अब बस यही करना है।“ मेरे कहने का अर्थ है कि अपने मुख्य काम को करने के अलावा आप जो भी अन्य काम कर रहे हों, उन्हें स्थगित करके उस समय को परीक्षा की तैयारी पर फोकस कर दें।
- यदि आप नौकरी में हैं, तो नौकरी के बाद के बचे हुए समय का सदुपयोग करें। छुट्टी के दिनों को सबसे अधिक मूल्यवान समझें। यदि जरुरत लगे, तो अतिरिक्त छुट्टियां लेने का साहस दिखायें।
- जिन-जिन छिद्रों से रिसकर आपका समय यूं ही बेकार जाता रहता है, उन्हें कम से कम अभी तो पूरी बेहरमी के साथ बंद कर दें। इससे आपके दिमाग का भटकाव भी नियंत्रित होगा।
- परीक्षा के कम से कम पन्द्रह दिन पहले यदि संभव हो सके तो, खुद को पूरी तरह से परीक्षा की तैयारी के हवाले कर दें।
- लेकिन हां, रोजाना की नींद में कटौती बिल्कुल भी न करें। वह रोजाना रात में 7 घंटे की तथा दोपहर में आधे घंटे की झपकी के रूप में होनी ही चाहिए।
– डाॅ॰ विजय अग्रवाल
(आप पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं afeias.com के संस्थापक हैं।)
Note: This article of Dr. Vijay Agrawal was published in “Jagran Josh” dated 06-March-2019.