सी-सेट के परिच्छेदों में स्कोर कैसे करें
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सिविल सेवा परीक्षा के सी-सेट पेपर को क्वालिफाई करने की रणनीति से संबंधित मेरा एक लिख इसी समाचार पत्र में छपा था। उसमें मैंने इस बात पर विशेष जोर दिया था कि परिच्छेद वाले प्रश्नों को हल करने पर सबसे अधिक जोर देना अपनी मंजिल को पाने का सबसे आसान और सबसे सुनिश्चित तरीका हो सकता है। उसी की निरन्तरता में मैं अब इस लेख के अंतर्गत आपको परिच्छेद के प्रश्नों को हल करने की तकनीक बताने जा रहा हूँ।
ऊपर से देखने पर बहुत ही आसान लगने वाला यह परिच्छेद (जिसे मैं आगे चलकर ‘गद्यांश’ कहूँगा) वस्तुतः उतना सरल होता नहीं है। इसकी कठिनता का रहस्य न तो इसके शब्दों में होता है और न ही इसके वाक्यों की जटिलता में। सारी की सारी चुनौती सम्पूर्ण अंश के सारतत्व में छिपी होती है। आपको इसे ही पकड़ना पड़ता है। इसलिए पहली मनोवैज्ञानिक सतर्कता आपको यह बरतनी होगी कि आप इसे सरल समझने की भूल बिल्कुल न करें, बावजूद इसके कि वह आपको सचमुच में सरल मालूूम पड़ रहा है।
दरअसल, गद्यांश वाले प्रश्न हमसे तीन तरह के विशेष गुणों की अपेक्षा रखते हैं। ये तीन गुण हैं-
1. फोकस,
2. गति, और
3. नियंत्रण।
फोकस का अर्थ है कि आप कितने ध्यान के साथ मूल तथ्यों से जुड़कर पूरे गद्यांश को पढ़ पाते हैं। आप यदि इसे ‘‘मेडीटेशन’’ जैसी प्रक्रिया मानें, तो गलत नहीं होगा। आपको पढ़ने के दौरान अपने दिमाग को भटकने से बचाना होगा।
समय बहुत कम होता है और प्रश्नों की संख्या ज्यादा। साथ ही जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया जाता है और उनसे जिस तरीके के प्रश्न पूछे जाते हैं, वे आपके लिए स्पीड़ ब्रेकर की तरह होते हैं। फलस्वरूप यह आपके सामने एक चुनौती होती है कि आप कैसे कम से कम समय में गद्यांश के उस अंश की मूल आत्मा को आत्मसात कर पाते हैं। यहाँ मैंने ‘आत्मसात’ शब्द का प्रयोग किया है, समझने का नहीं। यानी कि आपको शब्दार्थ की जगह भावार्थ को पकड़ना है।
‘नियंत्रण’ का संबंध इस बात से है कि कैसे आप अपने दिमाग को बाहरी हस्तक्षेपों के प्रभाव से बचा पाते हैं। होता यह है कि जब गद्यांश के प्रश्नों के विकल्प दिये जाते हैं, तो उनमें से कई विकल्प सामान्य ज्ञान की दृष्टि से तो बिल्कुल सही होते हैं, लेकिन गद्यांश की दृष्टि से नहीं। और यहाँ आपको जिस विकल्प की तलाश करनी है, उसका आधार गद्यांश है न कि सामान्य ज्ञान। इसलिए इस बात की अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी कि यह सामान्य ज्ञान गद्यांश के सत्य पर हावी न होने पाए।
निश्चित रूप से ये तीनों विशेष गुण किसी भी सिविल सर्वेन्ट में होने ही चाहिए और ये जन्मजात नहीं होते। ये अर्जित गुण होते हैं, जिन्हें अभ्यास के द्वारा पाया जाता है।
प्रश्न को हल करने का उपाय
मैंने गद्यांश को पढ़ने के दोनों तरीकों पर काफी कोणों से प्रयोग किए हैं। पहला प्रयोग यूँ कि पहले गद्यांश को पूरा पढ़ लें और फिर उस गद्यांश पर पूछे गये प्रश्नों को पढ़ें। दूसरा तरीका यह कि पहले उस गद्यांश पर आधारित पूछे गए प्रश्नों को पढ़ें और फिर गद्यांश को पढ़ें। मैं विशेष रूप से बताना चाहूंगा कि मुझे दूसरे तरीके के परिणाम पहले की तुलना में अच्छे मिले हैं।
वस्तुतः यदि हम गद्यांश को पढ़ने से पहले ही उससे जुड़े प्रश्नों को पढ़ लेते हैं, तो उससे फायदा यह होता है कि जब हम गद्यांश को पढ़ते हैं, तब हमारा ध्यान अपने-आप ही उन अंशों पर थोड़ी देर के लिए रुक जाता है, जो प्रश्नों से जुड़े होते हैं। इससे लाभ यह मिलता है कि उन अंशों को हम उसी समय विशेष रूप से पढ़ लेते हैं और इससे सटीक उत्तर पाने में मदद मिल जाती है।
यहाँ मैं दो बातें विशेष रूप से कहना चाहूँगा। पहली यह कि गद्यांश के केवल प्रश्न को पढ़ें, प्रश्नों के विकल्पों को नहीं। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि यदि आप विकल्पों को भी पढ़ लेंगे, तो आप अपने दिमाग के लिए उलझन पैदा कर लेंगे। दूसरी बात यह है कि एक बार की रीडिंग के बाद फिर आप विकल्पों को भी पढ़ें। अब यदि आपको समाधान नहीं मिल रहा है, तो आप इत्मीनान के साथ या फिर से पूरे गद्यांश को पढ़ें। फिर गद्यांश के केवल उस अंश को पढ़ें, जहाँ आपको पहली रीडिंग के समय आभास हुआ था कि उत्तर यहीं कहीं होगा। हाँ, आप यह भी कर सकते हैं कि पहली रीडिंग के दौरान जहाँ आपको उत्तर की संभावना नजर आती है, वहाँ पेंसिल से बहुत हल्का-सा निशान लगा दें। इससे आपके समय की बचत हो सकेगी।
अंतिम बात यह कि एक गद्यांश से औसतन दो प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए समय के बारे में आप हड़बड़ायें नहीं। यदि आप जल्दबाजी करेंगे, तो पक्का मानकर चलिए कि कोई न कोई गलती कर बैठेंगे। आपको चाहिए कि आप परीक्षा के पहले इस सिस्टम को अभ्यास के द्वारा अपने दिमाग के मैकेनिज्म में डाल लें। इससे परीक्षा में आपको लयात्मकता को एहसास होगा।
आप सबको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
नोट:- डॉ. विजय अग्रवाल द्वारा यह लेख सबसे पहले दैनिक जागरण ‘जोश‘ में प्रकाशित हो चुका है।