चीन से हिमालय व हिंद महासागर की सुरक्षा

Afeias
23 Nov 2020
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Date:23-11-20

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हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच बेसिक एक्सचेंज एण्ड कोपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) हुआ है। इस समझौते के अंतर्गत दोनों देश आपस में मानचित्र, समुद्री और वैमानिक चार्ट, वाणिज्यिक और अन्य अवर्गीकृत इमेजरी, भूभौतिकीय, भू-चुंबकीय और गुरूत्वाकर्षण डेटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह समझौता अमेरिका को संवेदनशील उपग्रह और सेंसर डेटा साझा करने की भी अनुमति देगा, जिससे भारत को पिनपाइंट सटीकता के साथ सैन्य लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –

  • अमेरिका और भारत के बीच दीर्घकालीन रणनीतिक साझेदारी में यह समझौता नींव का पत्थर प्रमाणित होगा। क्वाड के अन्य सदस्यों के साथ अब भारत-चीन के आक्रामक रूख का माकूल जवाब देने में सक्षम हो जाएगा।
  • इस माध्यम से अब भारत हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों की गतिविधयों पर निकट से नजर रख सकेगा।
  • पाकिस्तान के संदर्भ में, बालाकोट जैसी अन्य घटना घटने पर भारत उपग्रह व अन्य अमेरिकी डेटा की मदद से सटीक लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

चुनौतियां –

  • इस समझौते को लेकर यूपीए सरकार ने भारत की संवेदनशील सूचनाओं और संवेदनशील प्रयोगशालाओं तक अमेरिका की पहुँच बन जाने की आशंका व्यक्त की थी।

वर्तमान समझौते में दोनों देशों के बीच वार्ता के कई दौर सम्पन्न होने के बाद ऐसी आशंका की संभावना से इंकार किया जा रहा है।

  • भारत ने 1962 के युद्ध में अपने निकटतम सहयोगियों से सहयोग न मिलने का अनुभव प्राप्त कर लिया है। अंतः उसे अमेरिका के दम पर अपनी सुरक्षा के भ्रम को नहीं पालना चाहिए।
  • भारत को तुरंत प्रभाव से एक हिमालयन फोर्स का गठन करने की आवश्यकता है, जो अर्ली अवेयरनेस और अलर्ट सिस्टम से लैस हो। इस फोर्स के पास उन्नत तकनीक वाला खुफिया, मानव और उपग्रह तंत्र हो, जो चीन की सूक्ष्म आक्रामक गतिविधियों की तुरंत जानकारी दे सके।
  • चीन के उकसावे पर भारत के पास इतनी राजनीतिक शक्ति और विवेक होना चाहिए कि वह चीन से संबंधों की कभी इति न करे। चीन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उसने हुवावे को एक वैश्विक 5 जी टेक कंपनी बना दिया, जिसने अमेरिका को भी चुनौती दे दी है।

अपने उत्पादों के निर्यात के साथ ही चीन भी जापान, जर्मनी और कोरिया की तरह अपनी संस्कृति का निर्यात करता है। यह सीखने लायक है कि व्यापार के माध्यम से कैसे अपनी संस्कृति का प्रसार किया जा सकता है।

हिमालय और हिंद महासागर में चीन को नियंत्रित रखने के लिए भारत को यूरोपीय देशों के साथ गठजोड़ करना चाहिए और एशियाई स्थिरता के लिए उभरते अमेरिका-प्रायोजित क्वाड को मजबूत करना चाहिए।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत को चीन के साथ विदेशी व्यापार, वैश्विक बाजारों और प्रौद्योगिकी में प्रतिस्पर्धा रखनी चाहिए। भारतीयों में विरोधाभासों में जीने की जबरदस्त क्षमता है। चीन के संदर्भ में इसका लाभ उठाया जाना चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित नारायण डी बत्रा के लेख पर आधारित। 5 नवम्बर 2020