जीएसटी दरों में आया बदलाव
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- हाल ही में जीएसटी दरों को कम कर दिया गया है।
- अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं को निचले स्लैब में लाया गया है। भारत में अब चार दरें या स्लैब हैं। इनमें छूट प्राप्त वस्तुएं और डिमैरिट रेट शामिल हैं।
- यह नीति उपभोग को बढ़ावा देने से जुड़ी हुई है।
- वस्तुओं को जीएसटी के निचले स्लैब में ले जाने का संबंध वर्ष के आरंभ में आईटी और ब्याज दरों में की गई कमी से होने की उम्मीद है। यह उनके परिपूरक के रूप में काम करेगा।
- यह कम और स्थिर मुद्रास्फीति के साथ मेल खाता है। अतः राजस्व प्रभाव कम हो सकता है।
- राजस्व संबंधी प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं है। फिर भी इनके इतने अधिक होने की संभावना नहीं है कि राज्यों के कर संग्रह में कमी आने पर किसी विशेष छूट की आवश्यकता पड़े।
- इन दरों के व्यवस्थित होने के साथ-साथ जीएसटी से अर्थव्यवस्था की संभावित विकास दर में वृद्धि होनी चाहिए। धीरे-धीरे, जैसे-जैसे हितधारकों को लाभ दिखाई देने लगेंगे, प्रणाली में सुधार आसान होता जाएगा।
यह कदम अमेरिका के साथ आई निर्यात बाधा को देखते हुए उठाया गया है। इससे व्यापारिक तनाव के कम होने की उम्मीद है। घरेलू खपत के बढ़ने की उम्मीद है।
- इस दिशा में किए जाने वाले भारी सुधार का काम हो गया है। लेकिन कर व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित करने और आम सहमति बनाने की जरूरत है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 4 सितंबर, 2025