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21-02-2025 (Important News Clippings)
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यूक्रेन में युद्ध खत्म करने का फॉर्मूला क्या होगा?
संपादकीय
जिस अमेरिका ने रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद मॉस्को के खिलाफ प्रतिबंध लगा रखे हों, उसके नए राष्ट्रपति ट्रम्प का यह कहना कि उलटे यूक्रेन ने युद्ध की पहल की थी- कई स्थापित वैश्विक मूल्यों को तोड़ता है। ट्रम्प की यह धमकी कि यूक्रेन अगर समझौता नहीं करता तो उसका देश खत्म हो जाएगा, किसी परिपक्व राजनेता की भाषा नहीं हो सकती। जेलेंस्की ने एक मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में कहा, ‘अमेरिकी मदद के बिना युद्ध में यूक्रेन के बने रहने के अवसर बेहद कम हैं, हालांकि मेरे यह कहने से देशवासियों का मनोबल गिरेगा। इसलिए हम किसी भी कीमत पर देश की सम्प्रभुता की रक्षा करेंगे।’ उनका यह आर्तनाद सोचने को मजबूर करता है कि क्या पूरी दुनिया ट्रम्प-पुतिन दबंगई को चुपचाप देखती रहेगी? नहीं! फ्रांस में ईयू के सदस्य देशों ने यूक्रेन में ट्रम्प की नीतियों पर बैठक की और यूक्रेन को सामरिक मदद बढ़ाने का हौसला दिया। यूके के पीएम ने कह दिया कि जरूरत पड़ी तो हमारे सैनिक यूक्रेन की मदद के लिए जाएंगे। उधर यूएस और रूस की नजदीकियां और चीन के खिलाफ अमेरिकी टैरिफ चीन-रूस संबंधों पर भी असर डालेगा। ट्रम्प का ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ डब्ल्यूटीओ को भी चुनौती है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ और पर्यावरण प्रतिबद्धता के वैश्विक प्रयासों से भी अमेरिका को बाहर कर लिया है। देखना होगा यूक्रेन में युद्ध खत्म करने का फॉर्मूला क्या होगा ।
रोबोटिक्स और ड्रोन क्षेत्र में भारत की दमदार उड़ान
विवेक वाधवा, ( सीईओ, विओनिक्स बायोसाइंसेस )
भारत के ड्रोन उद्योग की नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा हालिया आलोचना भारत की तकनीकी क्षमताओं के बारे में उनकी गलतफहमी और चीन द्वारा पैदा खतरों के प्रति उपेक्षा भाव को उजागर करती है। भारतीय उद्योग को निशाना बनाते हुए उन्होंने एक तरह से चीनी ड्रोन कंपनी डीजीआई का प्रचार भी कर दिया। वास्तव में, आज भारत के बढ़ते ड्रोन और रोबोटिक्स क्षेत्रों पर सवाल उठाने की नहीं, समर्थन करने की जरूरत है। रोबोटिक्स, ड्रोन और इलेक्ट्रिक वाहनों में चीन का वर्चस्व वाकई प्रभावी लगता है, पर वह सरकारी नियंत्रण, जासूसी और शोषण की नींव पर खड़ा है। यूनिट्री और डीजे आई जैसी चीनी कंपनियां केवल इस उद्योग की अग्रणी नहीं हैं; वे विश्व पर नजर रखने के लिए अपनी सरकार की वर्चस्ववादी शक्ति का विस्तार भी हैं।
सरकारी सब्सिडी और बौद्धिक संपदा की चोरी ने चीनी कंपनियों की सफलता को कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया है, मगर यह दिखावा अब खत्म हो रहा है। अब अमेरिका, यूरोप कदम उठा रहे हैं, अपने उद्योगों की रक्षा के लिए प्रतिबंध लगा रहे हैं, टैरिफ लागू कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में चीन का स्वर्ण युग खत्म हो रहा है। इससे भारत के लिए अवसर पैदा हो रहा है। देश एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। भारत की दृष्टि मौलिक रूप से अलग है। भारत गुप्त रणनीति या जासूसी पर नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा, नवाचार और ईमानदारी पर भरोसा करता है। आईटी सेवाओं और दवा क्षेत्र में भारत की कामयाबी इसकी क्षमता और विश्वसनीयता का प्रमाण है।
भारत के रोबोटिक्स उद्योग में जबरदस्त संभावनाएं हैं और एडवर्ब टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां विनिर्माण और नवाचार में नए मानक स्थापित कर रही हैं। एडवर्ब ने अपने इकोसिस्टम का निर्माण स्वयं किया है। यह सालाना 1,00,000 रोबोट बनाने में सक्षम है। एडवर्ब ने दिखाया है कि भारतीय सरलता क्या हासिल कर सकती है। मैंने हाल ही में नोएडा में एडवर्ब के एक संयंत्र का दौरा किया और उनके द्वारा विकसित तकनीक और दृष्टिकोण देखकर दंग रह गया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक और क्षेत्र है, जहां भारतीय कंपनियां अभूतपूर्व प्रगति कर रही हैं। भारत फोर्ज रक्षा प्रौद्योगिकियों को फिर से परिभाषित करने के लिए एआई का लाभ उठा रहा है, जिसका उदाहरण, 150 मल्टी-पेलोड ड्रोन है, जिसे अद्वितीय कुशलता के साथ बहुत ऊंचाई पर उड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। पुणे में भारत फोर्ज के बाबा कल्याणी और उनकी टीम के साथ मुलाकात में मैंने जाना कि मानव रहित हवाई प्रणालियों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कैसे प्रयास हो रहे हैं।
भारत का ड्रोन क्षेत्र भी उतनी ही आशा जगा रहा है। एंड्योरएयर सिस्टम और भारत फोर्ज जैसी कंपनियां ड्रोन द्वारा क्या हासिल किया जा सकता है, इसकी नई रूपरेखा तय कर रही हैं। चिनूक से प्रेरित एंड्योरएयर के ड्रोन, जैसे सबल, ज्यादा ऊंचाई वाले अभियानों के लिए सशस्त्र बलों की पसंद बन गया है। उनके अलख नैनो ड्रोन का इस्तेमाल आतंक विरोधी अभियानों में किया जाता है। एंड्योरएयर के नोएडा स्थित संयंत्र में मैंने किफायती और कारगर उन्नत इंजीनियरिंग के बारे में जाना। भारतीय ड्रोन कंपनियां रक्षा और वाणिज्यिक, दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पाद विकसित कर रही हैं। इन्हें शेयर बाजार में भी समर्थन मिल रहा है।
भारत सरकार ने सब्सिडी और तकनीक चोरी पर जोर देने के बजाय पुख्ता नीति के बल पर ड्रोन क्रांति की नींव रखी है। 2021 ड्रोन नीति और 2023 रोबोटिक्स नीति ने स्पष्ट रोडमैप प्रदान किया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय विज्ञान संस्थान में नवाचार केंद्र के जरिये भी रोबोटिक्स और ड्रोन में शोध को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। भारत को इस दिशा में तेज तरक्की के लिए अनुसंधान और विकास निवेश को बढ़ाने, नियमों को सरल बनाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की जरूरत है। सबसे बढ़कर उसे ऐसे पूंजीपतियों की जरूरत है, जो वहां लंबे समय तक टिके रहने के लिए तैयार हों। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां तत्काल फायदे के बजाय बड़े फायदे के बारे में सोचना चाहिए।