चुनाव प्रक्रिया की घटती विश्वसनीयता
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- 20 दिसंबर, 2024 को चुनाव आयोग की सिफारिश पर केंद्र ने चुनाव नियमों के संचालन में संशोधन किया है।
- चुनाव आयोग ने कहा है कि वह गोपनीयता और सुरक्षा कारणों के चलते बूथ के सीसीटीवी फुटेज को साझा नहीं करना चाहता है। ज्ञातव्य हो कि संशोधन से पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि नियमों की धारा 93(2) के तहत चुनाव आयोग को चाहिए कि वह राज्य विधानसभा चुनाव की सीसीटीवी फुटेज नागरिकों के साथ साझा करे।
- 93(2) के अनुसार प्रतिबंधित कागजातों के अलावा अन्य को आम जनता को दिखाया जा सकता है। संशोधन के बाद अब केवल निर्दिष्ट कागजात ही सार्वजनिक किए जा सकते हैं।
- चिंता की बात यह भी है कि हाल के चुनावों में मतदान के समय घोषित किए गए आंकड़ों की तुलना में अंतिम आंकड़ों में, मतदान में नाटकीय वृद्धि देखी गई है। चुनाव आयोग का यह कहना सही हो सकता है कि जो मतदाता अंतिम समय में कतार में होते हैं, वे केवल अंतिम आंकड़ों में दर्ज होते हैं। इस दावे को प्रमाणित करने का ठोस तरीका सीसीटीवी फुटेज है। इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उम्मीदवारों के पास दस्तावेजों, कागजातों और रिकॉर्ड तक पहुंच है, लेकिन वीडियो फुटेज तक पहुँच के बारे में प्रक्रिया अस्पष्ट ही है।
लोकतंत्र में इतनी महत्वपूर्ण संस्था का पारदर्शिता को कम करना ठीक नहीं है। वास्तव में, चुनाव आयोग ने जो भी संशोधन करवाए हैं, वे उसकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 दिसंबर, 2024
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