अवैध आप्रवास
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दुनिया भर में क्यों होता है अवैध आप्रवास ?
1) रोजगार की कमी – वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार गरीबी और रोजगार की कमी अवैध आप्रवासन का बड़ा कारण है। लोग बेहतर नौकरी, जीवन स्तर में सुधार और आर्थिक अवसरों की तलाश में धनी देशों की ओर पलायन करते हैं। मेक्सिको से अमेरिका और द.एशियाई लोगों का यूरोपीय देशों की ओर आप्रवासन इसका एक बड़ा उदाहरण है।
2) युद्ध और गृहयुद्ध – यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फॉर रेफ्यूजी ( यूएनएचसीआर ) की ग्लोबल ट्रेंड्स रिपोर्ट के अनुसार युद्ध, गृहयुद्ध, राजनीतिक उत्पीड़न और अस्थिरता के चलते लोग अपना देश छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सीरिया, अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देशों से होने वाला विस्थापन है।
3) पर्यावरणीय आपदाएं – आईओएम की एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं भी आप्रवासन की बड़ी वजह बन रही हैं। इन आपदाओं के कारण बड़े पैमाने पर फसलों और आजीविका के साधनों के नष्ट होने के कारण लोग विस्थापित हो जाते हैं। सहारा क्षेत्र से दूसरे देशों में विस्थापन की यह बड़ी वजह है।
अवैध आप्रवास के प्रभाव –
अवैध आप्रवासन के साथ यद्यपि कई मानवीय पहलू जुड़े हैं, लेकिन इसका संबंधित देश पर गंभीर असर पड़ता है। यही कारण है कि कोई भी देश इसे प्रोत्साहित नहीं करता है। इसके मुख्य रूप से ये प्रभाव होते हैं :
1) राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा – अवैध आप्रवासी अक्सर सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में रोहिंग्याओं का अवैध आप्रवास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है, क्योंकि यह आतंकवाद और अन्य असामाजिक गतिविधियों के लिए संभावित आधार प्रदान कर सकता है।
2) कानून और व्यवस्था – अवैध आप्रवासियों द्वारा अक्सर देश के कानूनों का उल्लंघन किया जाता है, जिससे कानून-व्यवस्था प्रभावित होती है। ये आप्रवासी अक्सर धोखाधड़ी से पहचान-पत्र प्राप्त करते हैं और चुनावों में अवैध भागीदार भी करते हैं। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को खतरा होता है।
3) राजनीतिक अस्थिरता – अवैध आप्रवासन कई बार राजनीतिक मुद्दा भी बन जाता है। एक ही देश में कुछ राजनीतिक दल इन अवैध आप्रवासियों के समर्थक बन जाते हैं तो कुछ दूसरे इनके विरोधी। इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और तनाव की स्थिति पैदा होती है।
4) सामाजिक तनाव – अवैध आप्रवासियों की उपस्थिति स्थानीय समुदायों के साथ संघर्ष पैदा कर सकती है। संसाधनों की कमी और रोजगार के अवसरों के लिए प्रतिस्पर्धा सामाजिक तनाव को बढ़ा सकती है। इससे भी राजनीतिक अस्थिरता में बढ़ोतरी होती है।
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