खाद्य फोर्टिफिकेशन और विविधता बढ़ाने की जरूरत

Afeias
16 Oct 2024
A+ A-

To Download Click Here.

हाल ही में गेट्स फाउंडेशन की रिपोर्ट 2024 में भारत के पोषण सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य फोर्टिफिकेशन और आहार की विविधता बढ़ाने की सिफारिश की गई है।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु –

पोषण गुणवत्ता में सुधार और सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जब भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों (विटामिन, खनिज आदि) की जानबूझकर वृद्धि की जाती है, तो उसे फोर्टिफिकेशन कहते हैं।

भारत सरकार चावल, नमक, गेंहू, तेल और दूध में फोर्टिफिकेशन को बढ़ावा देती है।

1970 से गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से निपटने के लिए आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि देश में 6-59 महीने के 58.4% बच्चे, और प्रजनन आयु की 53.1% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। 5 वर्ष से कम आयु के 35.7% बच्चे कम वजन के हैं।

कोपेनहेगन कन्वेंशन का अनुमान है कि फोर्टिफिकेशन पर खर्च किए गए प्रत्येक एक रुपये से 9 रुपये का आर्थिक लाभ होता है।

बदलाव की जरुरत कहाँ है

खाद्य फोर्टिफिकेशन को व्यापक खाद्य प्रणाली एजेंडे के भीतर एक ऐसे बड़े कार्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए, जिसका उद्देश्य पौष्टिक, विविध आहार तक पहुँच में सुधार करना है। जैसे – मिड डे मील।

पीडीएस आहार में विविधता की कमी है। इस हेतु केंद्र और राज्यों को नीतिगत बदलावों पर सहयोग करना चाहिए।

स्थानीय खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, और आहार में उनका होना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

राज्य नीतियां ऐसी हों, जो कृषि पैटर्न में बदलाव और विविधता लाने के लिए किसानों को प्रेरित कर सकें।

मानकों को पूरा करने के लिए उद्योग का समर्थन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की समीक्षा के लिए कठोर निगरानी भी आवश्यक है।

द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 19 सितंबर, 2024

Subscribe Our Newsletter