राज्यों को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार
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- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और गोवा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायालय ने कहा है कि खान और खनिज (विकास और विनियमन अधिनियम) 1957 के विनियामक ढांचे के बावजूद ,राज्य सरकारों को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार है।
- इसका मतलब है, कई संसाधन संपन्न लेकिन गरीब राज्यों के राजस्व में वृद्धि।
- यह संघीय ढांचे में राज्यों की स्वायत्तता को भी महत्वपूर्ण बनाता है|
- इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि अधिनियम में खनिजों के विनियमन पर केंद्र और खनिजों के कराधान पर राज्यों का अधिकार है।
- राज्यों के पास कराधान के लिए सीमित जगह है, क्योंकि अधिकांश अधिकार केंद्र के पास हैं। इस निर्णय से राज्यों को अपने सीमित अधिकार क्षेत्र का लाभ मिल सकता है। यह राज्यों के लिए अप्रत्याशित लाभकारी हो सकता है।
- दूसरी ओर, इस निर्णय के बाद खनन कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अतिरिक्त लागत का बोझ ग्राहकों पर डाला जा सकता है।
- केंद्र ने भी तर्क दिया है कि इस निर्णय में भ्रम, कानूनी चुनौतियों और संबंधित प्रशासनिक बोझ के मुद्दों को सुलझा लिया जाना चाहिए। इसके बाद इसे लागू किया जाना चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 5 अगस्त, 2024
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