धारणीय विकास लक्ष्यों में भटकाव को वापस ट्रैक पर लाने की जरूरत
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संयुक्त राष्ट्र का धारणीय विकास लक्ष्यों पर सम्मेलन 2018-19 में न्यूयार्क में हुआ था। इसमें लक्ष्यों की ओर किए जाने वाले विकास की समीक्षा हुई थी। एजेंडा- 2030 के 17 धारणीय विकास लक्ष्यों में से कुछ को 2030 तक पूरा किया जाना है।
इसकी धीमी विकास गति पर कुछ बिंदु –
- पर्यावरण और जैव विविधता से संबंधित लक्ष्यों पर बहुत कम ध्यान दिया गया है।
- हम मानव कल्याण और स्वस्थ पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने के व्यापक लक्ष्य से बहुत दूर हैं। इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र धारणीय विकास लक्ष्य रिपोर्ट 2023 ने तत्काल कार्रवाई के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की हैं-
1) एस डी जी के वादों को पूरा करने के लिए सात साल की त्वरित, निरंतर और परिवर्तनकारी कार्रवाईयों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता।
2) त्वरित प्रगति प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय और उपराष्ट्रीय क्षमता, जवाबदेही और सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत करना।
3) असमानता को कम करना। महिलाओं और अन्य कमजोर लोगों के अधिकारों को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना। गरीबी-उन्मूलन के लिए ठोस, एकीकृत और लक्षित सरकारी नीतियां बनाना, और उनका कार्यान्वयन करना।
4) विकासशील देशों की सहायता के लिए संसाधन प्रदान करना।
5) संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली को निरंतर मजबूत करना।
संयुक्त राष्ट्र विकास लक्ष्यों की विकासगति की जांच पर आधारित परिणाम –
1) 64 विद्वानों की एक टीम ने गरीबी उन्मूलन, सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण की चुनौतियों को राष्ट्रीय और वैश्विक प्रशासन के स्तर पर सुलझाने के लिए अध्ययन किया। इन्होंने निष्कर्ष निकाला कि विकास लक्ष्यों का अब तक विवादास्पद प्रभाव रहा है। कुल मिलाकर, धारणीय विकास लक्ष्यों के अभी तक के प्रभाव परिवर्तनकारी नहीं पाए गए हैं।
2) संयुक्त राष्ट्र की अन्य रिपोर्ट ने बताया है कि 2030 एजेंडा की वास्तविक परिवर्तनकारी क्षमता को एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से महसूस किया जा सकता है। यह व्यवस्थित दृष्टिकोण ऐसे वैश्विक एक्शन की मांग करता है, जिसमें शासन, अर्थव्यवस्था और वित्त, व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई और विज्ञान प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय और स्थानीय प्राथमिकताओं को संबोधित किया जा सके। इसे ‘हमारा साझा भविष्य’ की तरह देखा जाना चाहिए।
2024 वर्ष दुनिया भर में चुनाव का वर्ष है। कम से कम 64 देशों में रहने वाली विश्व की 49% जनता अपना नेता चुनेगी। सभी नव-निर्वाचित सरकारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों को लेकर चलें।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित श्रीकुमार चट्टोपाध्याय के लेख पर आधारित। 4 मई, 2024